बिना के डसे, मृत्यु क्यों हुई?
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डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
मैं वैज्ञानिक शोध पर आधारित एक कहानी आप सभी के साथ साझा करना चाहता हूँ। मृत्युदण्ड की सजा प्राप्त एक हत्यारे को, वैज्ञानिक परीक्षण के लिये वैज्ञानिकों ने सरकार से अपने कब्जे में प्राप्त कर लिया। सरकारी शर्त यह थी कि हत्यारे को दर्दनाक मौत नहीं दी जायेगी।
वैज्ञानिकों ने हत्यारे से जानना चाहा कि वह किस प्रकार की मौत, मरना चाहेगा? उसकी ओर से कहा गया कि—
''मुझे तो मरना है, मौत कैसे भी हो फर्क क्या पड़ता है?''
अन्तत: वैज्ञानिकों ने हत्यारे को कोबरा सांप से डसवाकर निर्धारित तारीख को मृत्युदण्ड की सजा देने का निर्णय सार्वजनिक कर दिया। जिसके बारे में हत्यारे और उसके परिजनों को भी औपचारिक रूप से अग्रिम बता दिया गया। जिस दिन उसे कोबरा से डसवाया जाना था, उसके एक दिन पहले ही मृत्युदण्ड देने की सभी वैधानिक, चिकित्सकीय और धार्मिक औपचारिकताएं पूर्ण कर ली गयी। नियत तिथि को और समय पर हत्यारे को कोबरा दिखाया गया और इसके बाद उसके चेहरे को काले नकाब से ढक दिया गया। तत्पश्चात सांपे के डंक के समान ही नुकीली दो मुंही दो पिनों को हत्यारे के बदन पर इस प्रकार से चुभोया गया, जिससे उसे कोबरा द्वारा डसने का आभास हुआ। इसके तत्काल बाद हत्यारे ने प्राण त्याग दिये।
इस कहानी को आगे बढाने से पूर्व वैज्ञानिक सवाल जो उत्तर मांगता है?
''बिना कोबरा के डसे, हत्यारे की मृत्यु क्यों हुई?''
लेखक :————>>>>>>>>
सेवासुत डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
परम्परागत एवं होम्योपैथ चिकित्सक
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