शहरी भारतीयों के खानपान के तौर-तरीकों में हाल में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं. ढेर सारे कार्बोहाइड्रेट, बिना रिफाइन किया हुआ आटा और कम वसा वाली खुराक से रुझान अब उच्च वसायुक्त और कम अवशिष्ट वाली खुराक की ओर हो गया है।
आधुनिक भारतीय आहार अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट और वसायुक्त होता जा रहा है। इसके साथ ही एल्कोहल का सेवन भी बढ़ा है, जिसके नतीजे हृदय की बीमारियों, उच्च रक्तचाप (बीपी), मुधमेह और लीवर (कलेजा) से जुड़ी बीमारियों के रूप में सामने आ रहे हैं।
हृदय रोगों और मधुमेह जैसे रोगों पर मीडिया में खूब तवज्जो दी जा रही है. लेकिन लीवर-शरीर का सबसे बड़ा अंग और इसकी मुख्य केमिकल फैक्टरी-इनकी अपेक्षा थोड़ा उपेक्षित ही रहा है। आंतों से आने वाले खाए गए भोजन का पहला पड़ाव होने के कारण लीवर के हमारे खानपान में किए गए बदलावों से सर्वाधिक प्रभावित होने की संभावना बनी रहती है।
डेढ़ किग्रा का लीवर हमारे ऊपरी उदर के दाईं ओर स्थित होता है और यह खाए गए भोजन को संसाधित करता है, जिसके बाद इसे अंतड़ियां अवशोषित कर लेती हैं. यह कार्बोहाइड्रेट्स को ग्लाइकोजन (Glycogen) के रूप में जमा करके रखता है और जब भी जरूरत होती है, यह तुरंत ही इसे ग्लूकोज के रूप में स्त्रावित कर देता है।
हमारे द्वारा लिए गए नुक्सानदायक पदार्थों को यह निष्क्रिय कर देता है और प्रोटीन पैदा करता है जो हमें संक्रमण और रक्तस्त्राव से बचाता है। हम क्या खाते हैं और कैसा जीवन जीते हैं, उनमें मामूली सुधार कर के यह संभव है कि हम अपने लीवर को स्वस्थ रख सकें।
कैसे पहुंचता है लीवर को नुकसान : अच्छे और स्वस्थ लीवर के लिए कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन के सही संयोग वाला आहार जरूरी है। जैसा हम जानते हैं कि इनमें से किसी भी चीज की अति खतरनाक हो सकती है। इसमें अत्यधिक खाना भी शामिल है जो लीवर को ज्यादा काम करना पड़ेगा और सही कार्य करने की उसकी क्षमता भी कम होगी. वसा और एल्कोहल के रूप में ढेर सारी कैलॉरी लेने के कारण यह लीवर के इर्द-गिर्द जमा हो जाएगी, जिससे कोशिकाओं संबंधी क्षति हो सकती है और इसके महत्वपूर्ण कार्यों में व्यवधान डाल सकती है।
हमारी खुराक में लगभग 40 फीसदी कच्चे फल और सब्जियां शामिल होने चाहिए जो, इसके फाइबर संबंधी सामग्री में इजाफा करते हैं, वसा को अवशोषित करने और पेट की सफाई करने का काम करते हैं। अच्छा वसा (ये जरूरी फैटी एसिड होते हैं जो फिश ऑयल सरीखे खाद्य पदार्थों में मिलते हैं) शरीर की प्रत्येक कोशिका में मौजूद झिल्ली और लीवर के सही कार्य करने के लिए जरूरी होते हैं।
साधारण साफ-सफाई, जो उबले पानी और साफ भोजन से हासिल की जा सकती है, वायरल हेपेटाइटिस से बचाती है। हमें अपने अल्कोहल के सेवन को सीमित करना चाहिए जो पुरुषों के लिए रोजाना दो यूनिट (एक यूनिट में 10 ग्राम अल्कोहल होता है और यह एक बीयर, वाइन का एक गिलास या स्पिरिट की एक चुस्की के बराबर होता है) और महिलाओं के लिए एक यूनिट काफी है। इसके साथ ही, हमें ढेर सारा पानी या तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए, क्योंकि इनसे किडनी के जरिये ढेर सारे जहरीले रासायनिक पदार्थों को शरीर से बाहर करने में मदद मिलती है।
बढ़ता बोझ : भारत में मृत्यु होने के 10 शीर्ष कारणों में से लीवर का रोग भी एक है, ये रोग हर उम्र के लोगों पर अपना असर दिखा रहे हैं। लीवर के रोगों से पीड़ित लोग सुस्त, पीला रंग और समस्याएं पीलिया (जॉन्डिस), पेट में पानी भर जाना, खून की उल्टी होना, कैंसर, कोमा और मृत्यु का रूप भी अख्तियार कर सकती हैं।
ऐसा अनुमान लगाया गया है कि देश में हर साल लगभग दो लाख लोग लीवर की बीमारियों से दम तोड़ देते हैं और इनमें से अधिकतर को स्वच्छ पेयजल, नकली दवाओं के सेवन से बचाकर, सही खान-पान का अनुकरण करके और एल्कोहल की मात्रा कम करने जैसे साधारण उपायों से बचाया जा सकता है।
तीन बीमारियां : भारत में की लीवर की तीन सबसे घातक बीमारियां चर्बीदार लीवर, हेपेटाइटिस और सिरोसिस हैं, प्रत्येक के लिए विशेष खानपान की जरूरत है।
चर्बीदार लीवर वह स्थिति है, जिसमें वसा की बड़ी बूंदें लीवर की कोशिकाओं में चली जाती हैं और फिर उसकी कार्यप्रणाली के साथ हस्तक्षेप करती हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें सबसे आम (लेकिन काफी अजीब) अत्यधिक खाने के साथ ही कुपोषण (जरूरी प्रोटीन और विटामिनों की कमी) और एल्कोहल का अत्यधिक सेवन हैं। अत्यधिक खाने के कारण होने वाले गैर-एल्कोहल चर्बीदार लीवर रोग को आम तौर पर एनएएफएलडी के नाम से जाना जाता है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने अनुमान लगाया है कि हमारी आबादी का 32 फीसदी हिस्सा एनएएफएलडी (NAFLD=Non-Alcoholic Fatty Liver Disease) से पीड़ित है। जिसमें कम-से-कम अत्यधिक पोषण शामिल है, और यह आंकड़ा शराब की लत के शिकार लोगों में और भी अधिक है। लीवर में अतिरिक्त और अवांछित वसा 30 फीसदी मामलों में लीवर कोशिका की खराबी आ जाती है, जो अक्सर सिरोसिस का रूप धारण कर लेती है, जिसमें लीवर सख्त, भूरा, छोटा और गांठ जैसा हो जाता है। इसलिए यह जरूरी है कि चर्बीदार लीवर का जल्द इलाज करा लिया जाए. किसी भी दवाई से ज्यादा श्रेष्ठ सलाह यही होगी कि कम कैलॉरी, कम वसा और अधिक प्रोटीन, नियमित व्यायाम और एल्कोहल की मात्रा को सीमित करके इस पर काबू पाया जा सकता है।
हेपेटाइटिस (Hepatitis) लीवर की सूजन है जो दूषित जल में विषाणुओं, असुरक्षित यौन संबंध और दोबारा प्रयोग की गई सुई से हो सकता है। इसे आम तौर पर पीलिया के नाम से जाना जाता है। इस स्थिति में खानपान में ढेर सारे कार्बोहाइड्रेट (50-60 फीसदी) होने चाहिए। साथ ही वेजिटेबल प्रोटींस (20-30 फीसदी) और कम वसा (10-20 फीसदी) शामिल होने चाहिए। इसमें हाल में सेवन किए जाने वाले खाद्य पदार्थों में ताजे फल और जूस (सेब, अंगूर, गन्ना, नींबू का रस, नारियल पानी), सब्जियां (मूली, पालक, बंद-गोभी, खीरा, चुकंदर, टमाटर, करेला) और सब्जियों से प्रोटीन (दाल, मटर, फलियां और मेवे) शामिल हैं। यह बेहतर है कि तले हुए खाद्य पदार्थ, नमकीन, अचार, जंक फूड, कंसंट्रेटेड चीनी, एल्कोहल और लाल मांस खाने से बचना चाहिए।
सिरोसिस (Cirrhosis) में, जो कई लीवर रोगों की अंतिम अवस्था है, शुरू में कोई लक्षण नहीं देखने को मिलते हैं, लेकिन नमक और पानी के अवरोधन से पेट और लिंब्स में सूजन आ जाती है। हेपेटाइटिस में दी जाने वाली खुराक के अलावा नमक और पानी की मात्रा सावधानी के साथ सीमित कर दी जानी चाहिए-रोजाना 1,500 मिली (सात गिलास) लिक्विड के साथ एक चम्मच नमक। शाकाहारी भोजन लेना ठीक रहता है, क्योंकि पशु प्रोटीन से रक्त में अमोनिया के संचय से लीवर कोमा में चला जाता है।
स्वस्थ लीवर की खुराक : स्वस्थ लीवर के लिए खुराक में सबसे पहले ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल होने चाहिए जो डिटॉक्सिफिकेशन (Detoxification-विषहरण) की प्रक्रिया को बढ़ाते हैं; खाने में ऐसे पदार्थ पर्याप्त मात्रा में हों जो लीवर की रक्षा करते हैं।
प्रत्यारोपित लीवर : हम लीवर रोगों की एडवांस अवस्था में मौजूद लोगों के लिए उम्मीद भरे संदेश के साथ अपनी बात खत्म कर सकते हैं। लीवर के काम न करने की अंतिम अवस्था में भी, भारत में मदद मौजूद है-लीवर प्रत्यारोपण के रूप में। इस जटिल ऑपरेशन में, जिसे देश में 20 केंद्रों में अंजाम दिया जाता है, बीमार लीवर को निकाल दिया जाता है और उसके स्थान पर नया लीवर प्रत्योरित कर दिया जाता है। यह लीवर ब्रेन डेड दानदाता से लिया जाता है। कई बार, दानदाता जीवित इंसान भी होता है जो अपने अंग को दान कर देता है।
तो आप भी अपने लीवर का जरूर ध्यान रखिएगा। अगर इसे कुछ नुकसान पहुंच जाता है तो अपना खान-पान एकदम सही रखिएगा। ऐसे लोग जो अपने लीवर को अब तक घातक नुकसान पहुंचा चुके हैं, उनके लिए भी उम्मीद की किरण अभी बाकी है।-नई दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के सर्जिकल गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी और लीवर ट्रांस्प्लांटेशन विभाग में कार्यरत हैं।
स्वस्थ लीवर के लिए रोजाना के नियम :
- *पर्याप्त मात्रा में ताजे फल और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन।
- *ढेर सारा पानी (उबला हुआ या बोतलबंद), फलों का जूस।
- *अत्यधिक तले हुए भोजन से बचने की कोशिश करें।
- *सही मात्रा में एल्कोहल का सेवन करें।
- *बेकार की दवाएं न खाएं।
सही आहार ही कुंजी :
- अपने रात्रि भोजन की आधी प्लेट में बगैर स्टार्च वाली सब्जियां रखें, एक-चौथाई प्रोटीन हो और बाकी प्लेट में स्टार्च चलेगा।
- भूख बढ़ाने वाले पदार्थों का प्रयोग करें-7 इंच के आकार की प्लेट का प्रयोग करें. यह मात्रा को नियंत्रित करता है।
- वातित ड्रिंक्स एंप्टी कैलॉरी उपलब्ध कराती हैं. इसके बजाए ताजे फलों का जूस, सब्जियों के सूप या छांछ का सेवन करें।
- भोजन तब ही करें जब आपको भूख लगे और अपनी क्षमता से आधा भोजन ही करें।
- पोलीमील आजमाएं जिसमें वाइन (150 मिली प्रतिदिन), मछली (114 ग्राम हफ्ते में चार बार), डार्क चॉकलेट (रोजाना 100 ग्राम), फल और सब्जियां (दिन में 400 ग्राम), लहसुन (2.7 ग्राम प्रतिदिन), और बादाम (68 ग्राम प्रतिदिन)।
शहरी खान-पान के दिशा-निर्देश :
अप्रैल, 2011 में पहली बार शहरी खानपान के लिए राष्ट्रीय दिशा-निर्देश बनाए गए. कुछ सिफारिशें निम्न हैं :-
- कुल ऊर्जा का 50-60 फीसदी कार्बोइड्रेट का सेवन होना चाहिए. पूरा ध्यान चोकर सहित अनाज और पत्तेदार सब्जियों और ताजे फलों से मिलने वाले 20-40 ग्राम प्रतिदिन फाइबर पर होना चाहिए।
- प्रोटीन की मात्रा 10-15 फीसदी होनी चाहिए. इसमें सोयाबीन, चना, दालें (शाकाहारियों के लिए) तथा मांसाहारियों के लिए पोल्ट्री और सी फूड हो सकता है. लाल मांस जैसे अत्यधिक सैचुरेटेड फैट वाले भोजन से बचें।
- सब्जियों के दो स्त्रोतों में वसा और तेल की मात्रा 10 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिएः मूंगफली, जैतून, सरसों, चावल की भूसी और जिंजली ऑयल्स (मक्खन, घी या ट्रांस फैट बिल्कुल नहीं लेने चाहिए)
- गुड़, शहद से चीनी 10 फीसदी (टेबल शुगर से बचना चाहिए); नमक (आयोडाइज्ड) 5 ग्राम प्रतिदिन।
- महिलाओं के लिए रोजाना 200-1,500 कैलॉरी की सिफारिश है जबकि पुरुषों के लिए यह मात्रा 1,500 से 1,800 के बीच है।
परामर्श : 10 AM से 10 PM के बीच। Mob & Whats App No. : 9875066111
Please Do not take any (kind of) suggested medicine, without consulting your doctor.
कृपया अपने चिकित्सक के परामर्श के बिना, सुझाई गयी (किसी भी प्रकार की) दवा का सेवन नहीं करें।
निवेदन : रोगियों की संख्या अधिक होने के कारण, आपको इन्तजार करना पड़ सकता है। कृपया धैर्यपूर्वक सहयोग करें।-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'-9875066111.
Request : Due to the high number of patients, you may have to wait. Please patiently collaborate.--Dr. Purushottam Meena 'Nirankush'-9875066111
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