ताजा हरा धनिया (Fresh coriander leaves)
10 गुणकारी उपयोग
1 धनिया चरपरा, कसैला और जठराग्नि को प्रदिप्त करने वाला होता है।
2 यह पाचक एवं ज्वरनाशक भी है।
3 पीसी हरी धनिया की पत्ती सिरदर्द, य अन्य सूजन पर लेप बनाकर लगाने से आराम मिलता है।
4 मुँह के छालों या गले के रोगों में हरे धनिया के रस से कुल्ला करना चाहिए।
5 आँखों की सूजन व लाली में धनिया को कूटकर पानी में उबाल कर, उस पानी को कपड़े से छानकर आँखों में टपकाने से दर्द कम होता है।
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6 धनिया पत्ती का रस नकसीर फूटने पर नाक में टपकाने से से खून आना बंद हो जाता है।
7 गर्मी की वजह से पेट में होने वाले दर्द में धनिया का चूर्ण मिश्री के साथ लेने से फायदा होता है।
8 आँखों के लिए धनिया बड़ा गुणकारी होता है। थोड़ा सा धनिया कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा कर के, मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें। इसकी दो बूँद आँखों में टपकाने से आँखों में जलन, दर्द तथा पानी गिरना जैसी समस्याएँ दूर होती हैं।
9 हरा धनिया 20 ग्राम व चुटकी भर कपूर मिला कर पीस लें। सारा रस निचोड़ लें। इस रस की दो बूँद नाक में दोनों तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर मलने से खून तुरंत बंद हो जाता है।
10 गर्भ धारण करने के दो-तीन महीने तक गर्भवती महिला को उल्टियाँ आती है। ऐसे में धनिया का काढ़ा बना कर एक कप काढ़े में एक चम्मच पिसी मिश्री मिला कर पीने से जी घबराना बंद होता है।-
om prakash gaur
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घरेलू औषधि भी है धनिया
धनिये का प्रयोग भोज्य पदार्थ बनाने में मसाले के रूप में किया जाता है। धनिया सिर्फ मसाले के योग्य नहीं होता बल्कि इसका प्रयोग अनेक बीमारियों में औषधि के रूप में भी किया जाता है। आयुर्वेद शास्त्र में महर्षि चरक एवं महर्षि सुश्रुत ने धनिये के अनेक औषधीय प्रयोगों का वर्णन किया है। आयुर्वेद के प्रसिध्द ग्रंथ ‘भाव प्रकाश’ में भी धनिये के अनेक प्रयोग बताये गये हैं। आयुर्वेदज्ञों के अनुसार धनिया त्रिदोषहर, शोधहर, कफध्न, ज्वरध्न, मूत्रजनक एवं मस्तिष्क को बल प्रदान करने वाला होता है।
यूनानी मतानुसार देशी धनिया दूसरे दर्जे में शीत एवं रूक्ष होता है जबकि नेपाली धनिया दूसरे दर्जे में रूक्ष एवं उष्ण होता है। इसको सूंधना एवं खाना मस्तिष्क एवं हृदय दोनों के लिए बलदायक होता है। यह शीतल होता है अत: आमाशय एवं यकृत दोनों को ही शक्ति प्रदान करता है, पाचन शक्ति को बढ़ाता है तथा वायु उत्सर्ग करता है। मुख-पाक की बीमारी में इसके स्वरस से कुल्ला करने पर लाभ होता है। आयुर्वेद की औषधि के रूप में मुख्ययोग तुम्बर्वादि चूर्ण, धान्य-पंचक, धान्यचतुष्क, धान्यकादिहिम आदि प्राप्त होते हैं। हरी महक वाली पत्ती तथा सूखे धनियों के बीच का औषधीय प्रयोग परम्परागत रूप में निम्नानुसार किया जाता है-
- * सामान्य त्वचा रोगों तथा मौसम के बदलाव पर यदि खुजली होती हो तो उस स्थान पर हरे धनिया को पीसकर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।
- * अगर पेशाब रूक-रूककर आ रहे हों तो दो चम्मच धनिया चूर्ण को पानी में अच्छी तरह उबालकर पी लेने पर पेशाब खुलकर आने लगता है।
- * कमजोरी या अन्य कारणों से चक्कर आने पर धनिया पाउडर दस ग्राम तथा आंवले का पाउडर दस ग्राम लेकर एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें। सुबह अच्छी तरह मिलाकर पी लें। इससे चक्कर आने बंद हो जाते हैं।
- * पित्त बढ़ जाने पर हरी-पीली उल्टियां आनी शुरू हो जाती हैं। इस अवस्था में हरे धनिया का रस निकालकर उसमें गुलाब जल मिलाक पिलाने से लाभ होता है।
- * सूखा धनिया पाउडर एक ग्राम, हरे धनिया का रस एक चम्मच, धनिया पत्ती का रस एक चम्मच तथा शहद एक चम्मच मिलाकर पीते रहने से पुरुष की स्तम्भन शक्ति बढ़ती है तथा वीर्य गाढ़ा होता है।
- * पेशाब के साथ अगर खून का अंश आता हो तो सूखे धनिये का काढ़ा बनाकर एक कप की मात्रा में दिन में तीन बार पीजिये। इसमें स्वाद के अनुसार काला नमक मिलाया जा सकता है।
- 5 अगर बच्चा तुतलाता हो तो हरा धनिया पीसकर पर्याप्त पानी डालकर छान लें। इसमें आधा चम्मच भुनी फिटकरी मिलाकर कुछ दिनों तक कुल्ली करवायें। इस विधि से बच्चे का तुतलाना ठीक हो सकता है।
- * शरीर के भीतर किसी भी अंग में मीठी खुजली (सबसबाहट) चल रही हो तो ताजे हरे धनिया को पीसकर उस अंग में लगाने से खुजली दूर होती जाती है।
- * गर्मी के कारण कोई भी उपद्रव होने पर सुबह-शाम पिसी धनिये की फक्की एक-एक चम्मच लेते रहना चाहिए।
- * बच्चा अगर बहुत ज्यादा तुतलाता हो तो 30 ग्राम धनिये का पाउडर तथा दस ग्राम अमलतास का गूदा लेकर दोनों का काढ़ा बना लें। इस काढ़ा से दो माह तक लगातार सुबह-शाम कुल्ला (गरारा) कराइये। निश्चित ही तुललाना कम होगा।
- * पित्त बढ़ जाने से जी मिचलाना रहता हो तो हरा धनिया पीसकर उसका ताजा रस दो चम्मच की मात्रा में पिलाने से लाभ होता है। भोजन में हरे धनिये की ताजी पिसी चटनी का प्रयोग करते रहने से भी जी मिचलाना कम होता है।
- * धनिये की हरी पत्तियों को लहसुन, प्याज, गुड़, इमली, अमचूर, आंवला, नींबू, पुदीना आदि के साथ बारीक पीसकर चटनी के रूप में खाते रहने से पाचन क्रिया दुरुस्त बनी रहती है तथा भूख खूब लगती है।-Ranchi Express, 25 May 2011
ppp
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