श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिआ (Leucorrhea) सफेद पानी जाना महिलाओं का एक रोग है जिसमें स्त्री-योनि से असामान्य मात्रा में सफेद रंग का गाढा और बदबूदार पानी निकलता है और जिसके कारण वे बहुत क्षीण तथा दुर्बल हो जाती है। महिलाओं में श्वेत प्रदर रोग आम बात है। ये गुप्तांगों से पानी जैसा बहने वाला स्त्राव होता है। यह खुद कोई रोग नहीं होता परंतु अन्य कई रोगों के कारण होता है।]
प्रत्येक महिला को अपने जीवन में कभी न कभी इस रोग से रूबरू होना पड़ता है इस रोग के अधिक बढ़ जाने पर स्त्रियाँ बहुत कमजोर हो जाती हैं और कमर दर्द, सिरदर्द ,पिंडलियों की वेदना आदि लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं पेडू में और कभी कभी पेट में पीड़ा होना भी पाया जाता है।मासिक धर्म के पहले या बाद में यह शिकायत अधिक देखने में आती है यह रोग आसान घरेलू नुस्खों के प्रयोग से ठीक किया जा सकता है। ल्यूकोरिया के सम्बन्ध में अपने चिकित्सा अनुभव यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ आप भी प्रयोग कर लाभ उठावें ।
1) एक ज्यादा पका केला पूरे एक चम्मच देशी घी के साथ खाएं। 15 दिन में फ़र्क नजर आएगा। एक महीना प्रयोग करें।
2) आंवला बीज का पावडर बनालें एक चम्मच पावडर शहद और सौंफ के साथ प्रातःकाल लें।
3) बेल फल का गूदा उपयोगी सिद्ध हुआ है।
4) पाँव भर दूध में इतना ही पानी तथा एक चम्मच सुखा अदरक डालकर उबालें जब आधा रह जाय तो इसमें एक चम्मच शहद घोलकर पीयें बहुत गुणकारी है।
5) आयुर्वेदिक औषधि अशोकारिष्ट इस रोग में अत्यंत लाभप्रद सिद्ध होती है प्रदरान्तक चूर्ण का भी व्यवहार किया जाता है ।
6) भोजन में दही और लहसुन का प्रचुर प्रयोग लाभकारी होता है बाहरी प्रयोग के लिए लहसुन की एक कली को बारीक कपडे में लपेटकर रात को योनी के अंदर रखें कीटाणु नाशक है ,इसी प्रकार दही को योनी के भीतर बाहर लगाने से श्वेत प्रदर में लाभ मिलता है।
7 ) १० ग्राम मेथी बीज पाव भर पानी में उबालें आधा रह जाने पर गरम गरम दिन में २ बार पीना उपादेय है।
8) छाछ ३-४ गिलास रोज पीना चाहिए इससे योनी में बेक्टीरिया और फंगस का सही संतुलन बना रहता है
9) गुप्त अंग को निम्बू मिले पानी से धोना भी एक अच्छा उपाय है फिटकरी का पावडर पानी में पेस्ट बनाकर योनी पर लगाने से खुजली और रक्तिमा में फायदा होता है।
10) मांस मछली,मसालेदार पदार्थों का परहेज करें|
11) भोजन में हरे पत्तेदार सब्जीयाँ और फल अधिक से अधिक शामिल करें।
12) श्वेत प्रदर रोग निवारण में होम्योपैथिक दवाएं आशानुकूल प्रभाव दिखाती हैं । रोग के लक्षण के मुताबिक औषधि का निर्वाचन किया जाता है। । कई दवाएं एक साथ मिलाकर प्रयोग करने से भी बेहतर परिणाम की आशा की जा सकती है। निम्न औषधियां ल्युकोरिया में उपयोगी साबित हुई हैं-
पल्सेटिला, फैल्केरिया, हिपर सल्फ, कैलीक्यूर, बोविस्टा, बोरेक्स, सिपिया, सेबाईना, क्रियोजोट, कार्बो एनिमेलिस, नेट्रम क्यूर, एल्यूमिना, हाईड्रैस्टिस, सल्फर, वाईवर्नमआपुलस इत्यादि। एक माह या कुछ अधिक समय तक ईलाज लेना हितकारी होता है।
स्त्रोत : डॉ. आलोक दयाराम
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